Petitioner/hin
याचिकाकर्ता वो होता है जो किसी कानूनी अदालत में एक औपचारिक लिखित अर्ज़ी के रूप में याचिका दायर करता है, जिसमें कानूनी, वैधानिक, या संवैधानिक अधिकार को लागू करने के लिए एक विशिष्ट न्यायिक आदेश की मांग की जाती है, जो उस अदालत के अधिकार क्षेत्र में आता है जहां यह दायर की गई है।
कुछ साहित्य में, याचिकाकर्ताओं को मुकदमेबाज के रूप में संदर्भित किया जा सकता है (एक और व्यापक शब्द इसमें प्रतिवादियों को भी शामिल करेगा)।
याचिकाकर्ता कौन है?
एक याचिकाकर्ता एक व्यक्ति, व्यक्तियों का समूह, राज्य या कोई "विधिक व्यक्ति" जैसे सांविधिक निकाय, कॉर्पोरेट निकाय या कोई अन्य संस्था जो कानूनी रूप से विधिक व्यक्ति घोषित की गई है, हो सकता है।
किसी विशेष मामले में कई याचिकाकर्ता हो सकते हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि मामला किस स्तर पर लड़ा जा रहा है। याचिकाकर्ता के पास याचिका के लिए “लोकस स्टैंडी” होना चाहिए यानी उन्हें पीड़ित या उनके कानूनी अधिकारों से वंचित होना चाहिए और उनके पास कार्रवाई का कारण होना चाहिए जो अदालत में लागू करने योग्य दावे को जन्म देता है। जनहित याचिका (पी.आई.एल.) के मामले में लोकस स्टैंडी से संबंधित नियम को ढील दी जाती है ताकि जनता के मुद्दों, विशेष रूप से वंचित या अधिकारहीनवर्गों के बारे में मूल रूप से हित और रुचि प्रेरित हो सके।
इसलिए, एक याचिकाकर्ता मामले का एक पक्ष होता है और इस वजह से, विवादित मामले के शीर्षक के पहले भाग में याचिकाकर्ता का नाम दिखाई देता है।
एक वकील एक याचिकाकर्ता का अदालत में प्रतिनिधित्व करता है। एक व्यक्तिगत याचिकाकर्ता वह होता है जो अदालत में खुद अर्ज़ी देता है, और अदालत की संतुष्टि पर, वकील के बिना व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर मामले की बहस कर सकता है।
एक याचिकाकर्ता एक अभियोगी या मुद्दई से अलग होता है क्योंकि अभियोगी न्यायालय में एक अधिकार की वसूली या संरक्षण के लिए, दावे को लागू करने के लिए, या खुद पर किए किसी गुनाह या गलत बात को सुधारने के लिए दीवानी मुकदमा दायर करता है। अभियोगी और याचिकाकर्ता के बीच अंतर यह है कि अभियोगी एक दीवानी कार्रवाही में उपाय की मांग करता है जबकि याचिकाकर्ता वह है जो अपनी शिकायतों के सुधार के लिए अदालत की मदद का आह्वान करता है, उदाहरण के लिए: कोई भी व्यक्ति जनहित के मामले में याचिकाकर्ता हो सकता है और याचिका दायर कर सकता है।[1]
याचिकाकर्ताओं के प्रकार
एक याचिकाकर्ता को अदालती दस्तावेजों में विभिन्न पदनाम दिए जा सकते हैं, जो मामले के विषय या अदालत पर निर्भर करता है जहां इसे सुना जा रहा है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
दिए गए रूपों में | स्पष्टीकरण |
---|---|
अपीलकर्ता | एक याचिकाकर्ता को अपीलकर्ता कहा जाता है जब वह निचली अदालत के आदेश/निर्णय के खिलाफ अपीलीय अदालत में दीवानी अपील या आपराधिक अपील लाता है। ऐसा अपीलकर्तानिचली अदालत में अभियोगी या प्रतिवादी रहा हो सकता है क्योंकि दोनों में से कोई भी पक्ष आगे की कार्यवाही के लिए उच्च न्यायालय में मामला प्रस्तुत कर सकता है। |
आवेदक | एक याचिकाकर्ता को आवेदक कहा जाता है जब वह जमानत आवेदन, एफ.आई.आर. रद्द करने का आवेदन, समीक्षा आवेदन, स्थानांतरण आवेदन, अंतरिम आवेदन, विविध आवेदन आदि जैसे कानून के तहत कानूनी अधिकार को लागू करने के लिए आवेदन दाखिल करता है। |
पुनरीक्षणकर्ता | एक याचिकाकर्ता को पुनरीक्षणकर्ता कहा जाता है जब उच्च न्यायालय के पुनरीक्षण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है। |
याचिकाकर्ता | एक याचिकाकर्ता को याचिकाकर्ता के रूप में संदर्भित किया जाता है जब वह संवैधानिक न्यायालयों में उनके मूल अधिकार क्षेत्र, रिट अधिकार क्षेत्र, समीक्षा अधिकार क्षेत्र, अवमानना अधिकार क्षेत्र, उपचारात्मक अधिकार क्षेत्र आदि के तहत याचिका दायर करता है। |
आधिकारिक डेटाबेस में उपस्थिति
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड
एन.जे.डी.जी. का लैंडिंग पेज इस बात का महत्वपूर्ण सारांश रखता है कि प्रत्येक अदालत में वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं द्वारा कितने दीवानी, आपराधिक और कुल मामले दायर किए गए।[2][3] इससे यह समझने में मदद होती है कि इन वर्गों वाले याचिकाकर्ता अदालतों के रूप में एक औपचारिक न्याय संस्था तक किस हद तक पहुंच पाते हैं।
याचिकाकर्ता से जुड़ा शोध
न्याय में कौन है? बिहार की अदालतों में एक दशक में जाति, धर्म और लिंग [4]
विश्व बैंक के शोधकर्ताओं द्वारा २०२१ में किए गए एक अध्ययन में २००९ और २०१९ के बीच पटना उच्च न्यायालय (बिहार) में दायर दस लाख से अधिक मामलों की जांच की गई, जिसमें याचिकाकर्ताओं की जाति, धर्म और लिंग आँका गया। इस पत्र ने ये समझने का पराया किया कि (i) मुस्लिम, महिलाओं और अनुसूचित जाति के याचिकाकर्ताओं की समस्त संख्या कम क्यों है (ii) क्या याचिकाकर्ताओं के जाति सूचक उपनाम उनके अधिवक्ताओं या न्यायाधीशों से "मेल खाते" थे।
अंतर्राष्ट्रीय अनुभव
संयुक्त राज्य अमेरिका
संयुक्त राज्य अमेरिका में राज्य न्यायालयों के राष्ट्रीय केंद्र द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय खुला न्यायालय डेटा मानक (एन.ओ.डी.एस.) नस्ल और जातीयता के लिए डेटा को स्व-पहचान के आधार पर दर्ज करने की अनुमति देते हैं, न कि केवल कानून प्रवर्तन या न्यायालय कर्मचारियों की समझ के आधार पर।[5]
सन्दर्भ
- ↑ https://www.ejusticeindia.com/difference-between-plaintiff-petitioner-appellant-respondent-and-defendant/#:~:text=The%20difference%20between%20the%20term,in%20case%20of%20public%20interest
- ↑ https://njdg.ecourts.gov.in/njdg_v3/
- ↑ https://njdg.ecourts.gov.in/njdg_v3/
- ↑ “Bhupatiraju, Sandeep; Chen, Daniel L.; Joshi, Shareen; Neis, Peter. 2021. Who Is in Justice? Caste, Religion and Gender in the Courts of Bihar over a Decade. Policy Research Working Paper;No. 9555. World Bank, Washington, DC. © World Bank. https://openknowledge.worldbank.org/handle/10986/35195 License: CC BY 3.0 IGO
- ↑ NODS (NCSC). "Data elements spreadsheet" Available at: https://www.ncsc.org/consulting-and-research/areas-of-expertise/data/national-open-court-data-standards-nods